Thursday, March 19, 2009

माया का डिनर

माया जी का डिनर तो रहा सनसनीखेज,
रही कमी बस एक ही नमक हो गया तेज ।
नमक हो गया तेज पड़ा सबको वह खाना,
उससे भी मुश्किल है उसका फर्ज निभाना ।
कामरेड ने चटखारें लेकर जो खाया ,
बच्चू इक दिन उसे वसूलेंगी अब माया ।
- ओमप्रकाश तिवारी

2 comments:

  1. धन्यवाद अंशू जी । ऐसे ही पढ़ते रहिए और मेरा उत्साह बढ़ाते रहिए ।

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