रणभेरी फिर बज उठी लोकतंत्र के गांव ,
जिसे देश के लोग हैं कहते आम चुनाव ।
कहते आम चुनाव और बनकर मतदाता,
चुनते हैं सब मिलकर अपना भाग्यविधाता ।
बढ़िया-बढ़िया चुनो लगी है आगे ढेरी ,
तभी सफल होगी चुनाव की ये रणभेरी ।
- ओमप्रकाश तिवारी
Sunday, March 15, 2009
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सही कहा आपने...लेकिन बढ़िया चुने कैसे...सब ही एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं...या फिर चोर चोर मौसेरे भाई हैं...
ReplyDeleteनीरज