Sunday, February 16, 2014

बात बहादुर

बात बहादुर हर जगह अपनी बात बनायं,
अनजानों के बीच भी अपनों से घुस जायं।
अपनों से घुस जायं बतकही लंबी झाड़ें,
झूठी-सच्ची गाय स्वयं का झंडा गाड़ें।
टर्राते इस भाँति मेघ ऋतु जैसे दादुर,
अपना काम निकाल खिसकते बात बहादुर।
- ओमप्रकाश तिवारी

जिसकी लाठी उसकी भैंस

लाठी जिसके हाथ में समझो उसकी भैंस,
बची-खुची जो है कसर पूरा करती कैश।
पूरा करती कैश इन्हीं दोनों का जलवा,
ये दो जिनके पास खाय वो पूड़ी-हलवा।
आदिकाल से देख रहे हैं ये परिपाटी,
राखो थैली कैश और हाथों में लाठी ।
- ओमप्रकाश तिवारी 

Tuesday, October 1, 2013

अध्यादेश वापसी की नौबत ( 2 अक्तूबर, 2013)

शहजादे के बोल से फँसे दिखें सरदार,
कुर्सी अब लगने लगी बेचारे को भार ।
बेचारे को भार रोज होती है हुज्जत,
कल के छोरे आय उतारें उनकी इज्जत ।
पीएम तो है नाम असलियत में हैं प्यादे,
हुकुम चलाएं मॉम कभी उनके शहजादे । 

Monday, September 30, 2013

जेल का खाएं चारा - ( लालू दोषी करार)


चारा खाया भैंस का दोषी हुए करार,
चोर साथियों संग अब जेल गए सरदार ।
जेल गए सरदार नाम है जिनका लालू,
बनते थे जो शेर आज बन बैठे भालू ।
धीरे-धीरे कोर्ट कर रहा है निपटारा,
सारे नेता भ्रष्ट जेल का खाएं चारा ।

Tuesday, September 17, 2013

जियो धुरंधर आजम खान


जियो धुरंधर आजम खान !

राजनीति के चतुर खिलाड़ी,
चालें चलते बेड़ी - आड़ी,
दुश्मन तो दुश्मन होता है,
अपनों पर भी चले कुल्हाड़ी ;

करते वो जो लेते ठान !

वो चाहें तो नगर जला दें,
यूपी क्या वह देश हिला दें,
रामपुरी चाकू चलवाकर,
शांति व्यवस्था ख़ाक मिला दें;

शहर बना दें वह श्मशान !

एक इशारे पर हो दंगा,
अफसर को कर देते नंगा,
खुद कठोर दिलवाले बनकर,
रोज मुलायम से लें पंगा ;

बात-बात पर खींचें कान !

डरते हैं उनसे अखिलेश,
कहीं खड़ा न कर दें क्लेश,
ऐसा नेता पैदा करके.
भुगत रहा है सारा देश ;

इंसानी तन में शैतान !

बनते जिनके परम हितैषी,
करते उनकी ऐसी-तैसी,
खड़ा मुजफ्फरनगर सामने,
कथा बयान कर रहा जैसी ;

इनके लिए खिलौना जान !

दंगे एक सौ सात हो गए,
कहीं-कहीं बेबात हो गए,
राजनीति की कुटिल चाल में,
बच्चे कई अनाथ हो गए;

अब तो लो इनको पहचान 


(यह कविता आजतक चैनल पर इस खुलासे के बाद लिखी गई कि मुजफ्फरनगर के दंगे आजमखान के ही इशारे पर हुए थे) 

Friday, September 13, 2013

पीएम पद के लिए मोदी की घोषणा पर ( 13 सितंबर, 2013)


जैसे ही घोषित हुआ मोदी जी का नाम,
अडवाणी मुख से तुरत निकल गया हे राम !
निकल गया हे राम सुना जैसे ही नारा,
जाय चढ़ा आकाश आज बुढ़ऊ का पारा ।
अडवाणी जी आप गुरू हैं आखिर कैसे,
शिष्योन्नति को देख जल रहे कोयला जैसे ।

Wednesday, September 11, 2013

राहुल का वादा (12 सितंबर, 2013)

पूरी रोटी का करें वादा अब युवराज,
चाट गए जब देश को तब आई न लाज।
तब आई न लाज खा गए टू जी थ्री जी,
बची मलाई खाय डकार रहे जीजाजी ।
कोयले को भी खाय साध रह गई अधूरी,
फिर सत्ता मिल जाय खायं तब रोटी पूरी ।