Tuesday, October 1, 2013

अध्यादेश वापसी की नौबत ( 2 अक्तूबर, 2013)

शहजादे के बोल से फँसे दिखें सरदार,
कुर्सी अब लगने लगी बेचारे को भार ।
बेचारे को भार रोज होती है हुज्जत,
कल के छोरे आय उतारें उनकी इज्जत ।
पीएम तो है नाम असलियत में हैं प्यादे,
हुकुम चलाएं मॉम कभी उनके शहजादे । 

Monday, September 30, 2013

जेल का खाएं चारा - ( लालू दोषी करार)


चारा खाया भैंस का दोषी हुए करार,
चोर साथियों संग अब जेल गए सरदार ।
जेल गए सरदार नाम है जिनका लालू,
बनते थे जो शेर आज बन बैठे भालू ।
धीरे-धीरे कोर्ट कर रहा है निपटारा,
सारे नेता भ्रष्ट जेल का खाएं चारा ।

Tuesday, September 17, 2013

जियो धुरंधर आजम खान


जियो धुरंधर आजम खान !

राजनीति के चतुर खिलाड़ी,
चालें चलते बेड़ी - आड़ी,
दुश्मन तो दुश्मन होता है,
अपनों पर भी चले कुल्हाड़ी ;

करते वो जो लेते ठान !

वो चाहें तो नगर जला दें,
यूपी क्या वह देश हिला दें,
रामपुरी चाकू चलवाकर,
शांति व्यवस्था ख़ाक मिला दें;

शहर बना दें वह श्मशान !

एक इशारे पर हो दंगा,
अफसर को कर देते नंगा,
खुद कठोर दिलवाले बनकर,
रोज मुलायम से लें पंगा ;

बात-बात पर खींचें कान !

डरते हैं उनसे अखिलेश,
कहीं खड़ा न कर दें क्लेश,
ऐसा नेता पैदा करके.
भुगत रहा है सारा देश ;

इंसानी तन में शैतान !

बनते जिनके परम हितैषी,
करते उनकी ऐसी-तैसी,
खड़ा मुजफ्फरनगर सामने,
कथा बयान कर रहा जैसी ;

इनके लिए खिलौना जान !

दंगे एक सौ सात हो गए,
कहीं-कहीं बेबात हो गए,
राजनीति की कुटिल चाल में,
बच्चे कई अनाथ हो गए;

अब तो लो इनको पहचान 


(यह कविता आजतक चैनल पर इस खुलासे के बाद लिखी गई कि मुजफ्फरनगर के दंगे आजमखान के ही इशारे पर हुए थे) 

Friday, September 13, 2013

पीएम पद के लिए मोदी की घोषणा पर ( 13 सितंबर, 2013)


जैसे ही घोषित हुआ मोदी जी का नाम,
अडवाणी मुख से तुरत निकल गया हे राम !
निकल गया हे राम सुना जैसे ही नारा,
जाय चढ़ा आकाश आज बुढ़ऊ का पारा ।
अडवाणी जी आप गुरू हैं आखिर कैसे,
शिष्योन्नति को देख जल रहे कोयला जैसे ।

Wednesday, September 11, 2013

राहुल का वादा (12 सितंबर, 2013)

पूरी रोटी का करें वादा अब युवराज,
चाट गए जब देश को तब आई न लाज।
तब आई न लाज खा गए टू जी थ्री जी,
बची मलाई खाय डकार रहे जीजाजी ।
कोयले को भी खाय साध रह गई अधूरी,
फिर सत्ता मिल जाय खायं तब रोटी पूरी । 

अखिलेश यादव की मुल्ला टोपी ( 10 सितंबर, 2013)

टोपी पहने शीश पर कठमुल्ला अवतार,
मिस्टर सेक्युलर हैं बने दंगे एक सौ चार ।
दंगे एक सौ चार मुलायम जी के लल्ला,
फिर भी बोलें लोग रोज मोदी पर हल्ला ।
सात खून हैं माफ करें ये चाहे जो भी,
क्योंकि हैं ये पाक पहनकर मुल्ला टोपी । 

रुपया - डॉलर ( 21 अगस्त, 2013)

डॉलर को पर लग गए रुपया गिरा धड़ाम,
अर्थव्यवस्था के गुणी उसको सके न थाम ।
उसको सके न थाम देश देखे बदहाली,
बने नपुंसक आप बैठकर पीटें ताली ।
देखें बनकर मूक किए बस टाइट कॉलर,
जब रुपए से रेप करे अमरीकी डॉलर । 

महिला सांसद पर दिग्गी की टिप्पणी ( 26 जुलाई, 2013)

दिग्गी राजा को दिखा माल सौ टका टंच,
उनके एक बयान से खुद शरमाया मंच ।
खुद शरमाया मंच शर्म उनको न आई,
जिनके लिए जुबान दिग्विजय ने फिसलाई।
सुन पिल्ले की बात बजाते थे जो डुग्गी,
आज बंद हैं कान दिखें न उनको दिग्गी ।

अड़ियल आडवाणी ( 8 जून, 2013)

पच्चासी के हो गए रहते हैं बीमार,
किंतु उठाने को अड़े पीएम पद का भार ।
पीएम पद का भार उठाएंगे अडवाणी,
चलेगी जब तक सांस और दौड़ेगी नाड़ी ।
अच्छा होता आप जाय बसते अब काशी,
ढोएंगे क्या देश रोग लेकर पच्चासी । 

पवन बंसल के इस्तीफे पर ( 25 मई, 2013)

मामा बनकर लुट गया बंसल का संसार,
श्रीनिवास जी ससुर बन झेल रहे हैं वार ।
झेल रहे हैं वार बड़ी दिखती दुश्वारी,
भारी पड़ती जाय सभी पर रिश्तेदारी ।
बड़े पदों पर जाय हाथ रिश्तों का थामा,
समझ लीजिए आप बना बैठा वो मामा । 

खेल में सट्टेबाजी ( 23 मई, 2013)

माँ जी कहती थीं सदा पढ़-लिख बनो नवाब,
खेलकूद से बालकों जीवन होय खराब ।
जीवन होय खराब दिखे सच मां की वाणी,
खिलाड़ियों की आज दिखे जब अटकी गाड़ी।
नशा कर रहा कोय जुए की खेले बाजी,
बिगड़े मुंडे आज याद तब आएं माँ जी । 

मनमोहन और आर्थिक प्रगति ( 22 मई, 2013)

मनमोहन नौ साल में चले अढ़ाई कोस,
अजगर भी शर्मा गया देखके उनका जोश।
देखके उनका जोश होश खो बैठे सारे,
महंगाई पिछुवाय फिरें हम मारे-मारे ।
बढ़ा है भ्रष्टाचार हुआ जनता का दोहन,
काला शासनकाल आपका है मनमोहन ।

क्रिकेट सट्टेबाजी (18 मई, 2013)

बाइस उल्लू खेलते देखें कई हजार,
इसीलिए तो सज गया बुकियों का बाजार।
बुकियों का बाजार धड़ाधड़ बिकें खिलाड़ी,
चला रहे हैं आप बेइमानों की गाड़ी ।
सोचसमझ कर आज चुनो तुम अपनी च्वाइस,
कर लो अपना काम या देखो उल्लू बाइस ।

कर्नाटक भाजपा की हार ( नौ मई, 2013)

कर्नाटक में भाजपा हिस्से आई हार,
घर के भेदी ने किया उसका बंटाधार ।
उसका बंटाधार चल रही धींगामुश्ती,
दुश्मन का क्या काम जहां घर में हो कुश्ती ।
दिल्ली से भी दूर रखेगा ये ही नाटक,
जिसका कुछ संकेत दे गया है कर्नाटक । 

शाहरुख, वाचमैन और दिल्ली पुलिस ( 7 मई, 2013)

दिल्ली में दुष्कर्म से पस्त पुलिस कप्तान,
वाचमैन से हो गए सीधे शाहरुख खान ।
सीधे शाहरुख खान अगर हो मन में इच्छा,
दे सकते हैं आप सभी गुंडों को शिक्षा ।
खाकी वर्दी धारि बने हैं भीगी बिल्ली,
वाचमैन बुलवाय सबक कुछ सीखे दिल्ली । 

पवन बंसल ( 6 मई, 2013)

मामा जी के राज में हुआ रेल का खेल,
पहले खाई घूस अब गए भांजे जेल ।
गए भांजे जेल साथ में संगी-साथी,
अब पूरा परिवार बैठकर पीटे छाती ।
संसद में अब रोज हो रहा है हंगामा,
बचे रहेंगे आप कब तलक प्यारे मामा।

चाचा नेहरू और चीन (26 अप्रैल, 2013)

चाचा जी उलझा गए जिन मसलों को आप,
उन मसलों को आज भी देश रहा है नाप ।
देश रहा है नाप चहे मसला हो चीनी,
चाहे हो कश्मीर पाक ने धरती छीनी ।
रहता हाथ पटेल बिगड़ता न तब ढांचा,
जैसा गए बिगाड़ हमारे नेहरू चाचा ।

नीतीश और मोदी (12 अप्रैल, 2013)

कोई तो उनको मिला जो है उनसे बीस,
इसीलिए हैरान हैं सीएम श्री नीतीश ।
सीएम श्री नीतीश नींद न उनको आती,
नमो नमो आवाज स्वप्न में आय सताती।
रचि राखे जो राम अंत में वो ही होई,
इक-दूजे को देख जले आखिर क्यों कोई।

ममता की फजीहत - 2 (11 अप्रैल, 2013)

इज्जत फालूदा हुई पहुँची मन को चोट,
जिस कारण दिल्ली गईं मिला न एकहु नोट ।
मिला न एकहु नोट गोट सब उलटी बैठी,
अब जाकर बंगाल रहो तुम ऐंठी-ऐंठी ।
सत्ता जिसके हाथ करो न उससे हुज्जत,
सिंह मुलायम भांति संभालो अपनी इज्जत ।

दिल्ली में ममता की फजीहत

दिल्ली दीदी को गई कितनी जल्दी भूल,
गरियाया, कपड़े फटे चेहरे पर थी धूल ।
चेहरे पर थी धूल वाह मनमोहन भाई,
घर आए मेहमान को क्या औकात दिखाई !
जब तक थीं वह साथ बने रहते थे बिल्ली,
खींच लिया जब हाथ लगी गुर्राने दिल्ली।