Tuesday, March 31, 2009

संजू अपराधी

एमपी बनने के लिए लगा रहे थे घात,
न्यायालय की ओर से हुआ तुषारापात ।
हुआ तुषारापात कहा संजू अपराधी ,
नहीं जमेगी तुमपर बापू जी की खादी ।
करवाओ छह साल जेल में जाकर चम्पी,
उसके बाद लगे नंबर तो बनना एमपी ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Monday, March 30, 2009

डबल निशाना

माया जी के राज में न्याया देखिए शुद्ध ,
वरुण रासुका में हुए कहि दो शब्द निरुद्ध ।
कहि दो शब्द निरुद्ध बुना यों ताना-बाना,
साध लिया एक तीर छोड़कर डबल निशाना ।
कटने थे जो हाथ उन्हें इक ओर पटाया,
कांग्रेसियों से भी - जय हो - लूटें माया ।
- ओमप्रकाश तिवारी

आंधी

आंधी गांधी की चली वाह वरुण जी वाह ,
नेता बन बैठे मियां करके एक गुनाह ।
करके एक गुनाह आपने मुंह जो खोला,
लगा कोई बच्चा बापू के स्वर में बोला ।
देख वरुण को सोच रहे अब राहुल गांधी,
इस तूफां में दब न जाए अपनी आंधी ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Saturday, March 28, 2009

सपूत

पूत महाजन के रहे दे मसले को तूल,
कहें मेरे परिवार को गई भाजपा भूल ।
गई भाजपा भूल हमें समझा नाकारा,
टिकट बहन का भी अब तो है गया नकारा ।
अगर कुछ समय के लिए रहते आप सपूत,
संसद में होते स्वयं आज महाजन पूत ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Friday, March 27, 2009

जनता

जनता सुख की चाह में जिनको देती वोट,
सत्ता में आकर वही दे जाते हैं चोट ।
दे जाते हैं चोट रोज बढ़ती महंगाई ,
भूखा मरे गरीब व नेता खायं मलाई ।
लोकतंत्र में बंधु न कोई राजा बनता,
कृपादृष्टि अपनी जब तक न फेरे जनता ।
- ओमप्रकाश तिवारी

गीता का उपदेश

गीता में भगवन् कहें अर्जुन को समझाय,
त्यागो माया-मोह को युद्धभूमि में आय ।
युद्धभूमि में आय जीतना सिर्फ लड़ाई ,
यहां न कोई बहन और न कोई भाई ।
कांग्रेस को चले लगाने वरुण पलीता,
सुनो प्रियंका भाई ने पढ़ ली है गीता ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Wednesday, March 25, 2009

अर्थशास्त्री मनमोहन

मनमोहन और सोनिया कह गए आकर साथ,
आम आदमी के लिए कांग्रेस का हाथ ।
कांग्रेस का हाथ बात में है सच्चाई ,
खाकर तगड़ा हाथ गाल सहलाओ भाई ।
देकर लालीपाप करें जनता का दोहन,
कितने अच्छे अर्थशास्त्री हैं मनमोहन ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Tuesday, March 24, 2009

मतदाता

मतदाता के द्वार पर लंबी लगी कतार,
कोई खुशामद कर रहा करे कोई मनुहार ।
करे कोई मनुहार लिये मक्खन की टिकिया,
हाथ जोड़कर खड़े कई नेता नौसिखिया ।
पांच बरस में एक बार मौसम यह आता,
साक्षात प्रभु रूप में जब दिखता मतदाता ।
-ओमप्रकाश तिवारी

साले साहब

साले साहब को दिया लालू ने दुत्कार ,
बहन सहारा न बनी टूटे दिल के तार ।
टूटे दिल के तार दे रहे साधू ताने ,
दस जनपथ की ओर चले राखी बंधवाने ।
पड़ जाती है गले मुसीबत बैठे ठाले,
मिल जाएं यदि साधू यादव जैसे साले ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Monday, March 23, 2009

कैसे जमेगा दही

रही न अब वह दोस्ती रहा न अब वो प्यार ,
बिखरा-बिखरा सा लगे यूपीए परिवार ।
यूपीए परिवार दगा दे बैठे लालू ,
ये दिल मांगे मोर पवार कहें बन चालू ।
फटे दूध से भला किस तरह जमेगा दही,
दस जनपथ की मलिका बैठी सोच ये रही ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Sunday, March 22, 2009

एक फार्मूला

एक फार्मुला है गजब जांच सके जांच ,
पीएम चुन ले एक को डिप्टी पीएम पांच ।
डिप्टी पीएम पांच नाच होगा अलबेला,
आएगी जब थर्ड फ्रंट पीएम की बेला ।
मस्त स्वयंवर होएगा दूल्हा लिये अनेक,
कुर्सी सोचेगी भला चुनूं कौन सा एक ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Friday, March 20, 2009

वरुण की तरुणाई

तरुणाई में हैं वरुण सम्हले नहीं ज़ुबान ,
उधर चुनाव आयोग भी खोल के बैठा कान ।
खोल के बैठा कान फंसेंगे अब प्रत्याशी,
जो नादानी में कर बैठेंगे बदमाशी ।
तोल-तोल कर बोल बोल है महंगा भाई,
राजनीति में गच्चा खा जाती तरुणाई ।
-ओमप्रकाश तिवारी

मुन्नाभाई

मुन्ना भाई कह रहे नगर लखनऊ जाय,
संसद में भिजवाइये हमें वोट दिलवाय ।
हमें वोट दिलवाय करूंगा सबकी सेवा ,
लिया करूंगा आप सभी के बीच कलेवा ।
पर सोचे लखनऊ अजब है ये झुनझुन्ना,
कहां अटल का क्षेत्र कहां ये भाई मुन्ना ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Thursday, March 19, 2009

माया का डिनर

माया जी का डिनर तो रहा सनसनीखेज,
रही कमी बस एक ही नमक हो गया तेज ।
नमक हो गया तेज पड़ा सबको वह खाना,
उससे भी मुश्किल है उसका फर्ज निभाना ।
कामरेड ने चटखारें लेकर जो खाया ,
बच्चू इक दिन उसे वसूलेंगी अब माया ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Wednesday, March 18, 2009

गठबंधन

गठबंधन का दौर है सभी रहे हैं दौड़,
सत्ता मूल विचार है बाकी सबकुछ गौण ।
बाकी सबकुछ गौण देश की फिक्र न पालो,
किसी तरह से संसद की कुर्सी हथिया लो ।
कुर्सी के हित करिये बैरी का भी वंदन ,
लिव इन रिलेशनशिप हैं ये सारे गठबंधन ।
- ओमप्रकाश तिवारी

थर्ड फ्रंट

उत्तर-दक्षिण मिल रहे पूरब-पश्चिम साथ,
अंधे लगे टटोलने अब लंगड़ों का हाथ ।
अब लंगड़ों का हाथ न माया जाय बखानी,
सच पूछो तो थर्ड फ्रंट की यही कहानी ।
कितने दिन तक साथ रहेंगे ये सब पुत्तर,
है अखंड यह प्रश्न बताए कोई उत्तर ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Sunday, March 15, 2009

रणभेरी

रणभेरी फिर बज उठी लोकतंत्र के गांव ,
जिसे देश के लोग हैं कहते आम चुनाव ।
कहते आम चुनाव और बनकर मतदाता,
चुनते हैं सब मिलकर अपना भाग्यविधाता ।
बढ़िया-बढ़िया चुनो लगी है आगे ढेरी ,
तभी सफल होगी चुनाव की ये रणभेरी ।
- ओमप्रकाश तिवारी