Thursday, April 30, 2009

बाहुबली

एक अर्ज है आपसे हो गुस्ताखी माफ,
राजनीति से कीजिए बाहुबली को साफ ।
बाहुबली को साफ पाक हो जाए धरती,
जीत सकें न वो जिनसे जनता है डरती ।
दल कोई भी हो मगर सब जन पहुंचें नेक,
जाने दें चौपाल में बाहुबली न एक ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Wednesday, April 29, 2009

पप्पी-झप्पी

पप्पी-झप्पी न चले माया के दरबार,
जाओगे बेकार में सेंट्रल कारागार ।
सेंट्रल कारागार पड़ेगा मरना भूखा,
टाडा से भी सख्त बहनजी का रासुका ।
झेल चुके हैं वरुण जहां माया की झप्पी,
कहां चलेगी उस प्रदेश में तेरी पप्पी ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Monday, April 27, 2009

हफ्ताखोर

हफ्ता थे जो मांगते मांग रहे हैं वोट,
छीना करते नोट थे बांट रहे अब नोट ।
बांट रहे अब नोट चाहते बनें विजेता,
कुछ भी ले लो लेकिन इन्हें बना दो नेता ।
राह पुरानी पकड़ेंगे फिर रफ्ता - रफ्ता,
चुनकर आने पर भी ये मांगेंगे हफ्ता ।
- ओमप्रकाश तिवारी

महंगाई

कोई लुभाए धर्म तो कोई रिझाए जात,
कोई करता न दिखे महंगाई की बात ।
महंगाई की बात गई जो रोटी छीनी ,
चौंसठ में है दाल और चौबिस में चीनी ।
कुकिंग गैस पर पीएम की पत्नी भी रोई,
फिर भी इस मुद्दे पर चर्चा करे न कोई ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Sunday, April 26, 2009

अब तो लो विश्राम

गाते हैं सरदार जी नया आजकल राग,
अलादीन का लग गया उनके हाथ चिराग ।
उनके हाथ चिराग कहें यदि चुनकर आया,
अर्थव्यवस्था की पलटूं सौ दिन में काया ।
पांच बरस से यही आ रहे हो समझाते,
अब तो लो विश्राम रामधुन गाते-गाते ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Saturday, April 25, 2009

आचारसंहिता

आई जब से संहिता लागू है आचार,
डीएम साहब बन गए पूरे थानेदार ।
पूरे थानेदार हिल रही उनसे दिल्ली,
नेताजी भी बने हुए हैं भीगी बिल्ली ।
लेते रोज हिसाब जोड़कर पाई-पाई,
प्रत्याशीगण कहें याद अब नानी आई ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Friday, April 24, 2009

समोसे में आलू

जनता ने जब से चखा है विकास का स्वाद,
नेता रूपी मसखरे लगते अब बेस्वाद ।
लगते अब बेस्वाद हो गई जनता चालू,
लगे उसे स्वादिष्ट समोसा भी बिन आलू ।
जिनके कारण नाच रही अब तक निर्धनता,
सबक सिखाएगी उनको अब जागृत जनता ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Thursday, April 23, 2009

चूका

चूका समझो जन्म का चूक गया जो आज,
गलत व्यक्ति के हाथ में दे बैठा जो राज ।
दे बैठा जो राज कहेगी अगली पीढ़ी ,
बापू जी तो हटा गए चढ़ने की सीढ़ी ।
अगर चाहते हो तुमपर न जाए थूका,
मत देना मत उसे काम से जो है चूका ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Wednesday, April 22, 2009

रिफ्यूजी

बात रिफ्यूजी की करें लोग लगें कनफ्यूज,
उड़े दिमागी बल्ब के इनके सारे फ्यूज ,
इनके सारे फ्यूज सगे हैं बंगलादेशी,
देवी जैसी लगे इन्हें हर मेम विदेशी ।
व्यापारी ये वोट के रचते सिर्फ बिसात,
कहते संत कबीर जी मत सुन इनकी बात ।
- ओमप्रकाश तिवारी

सवाल

नेता जी के सामने भले न करो बवाल,
किंतु पूर्व मतदान के कुछ तो करो सवाल ।
कुछ तो करो सवाल आपका हक है भाई,
इसीलिए तो थी हमने सरकार बनाई ।
इस मौसम में आय हमारा मत जो लेता,
क्यों जवाब न दे आखिर हमको वह नेता ।
- ओमप्रकाश तिवारी

और अब चूसे बेटा

साठ साल बीते मगर अब भी हैं मजबूर,
बिजली,पानी,सड़क से जनता कोसों दूर ।
जनता कोसों दूर फले-फूले हैं नेता,
रहा चूसता बाप और अब चूसे बेटा ।
रमिया-राम-रहीम सब बने रहे यदि काठ,
यहीं खड़े रह जाएंगे बरस और भी साठ ।
- ओमप्रकाश तिवारी

काम का धन

काला धन काला सही लेकिन धन है यार,
स्विस बैंक में क्यों सड़े पड़ा-पड़ा बेकार ।
पड़ा-पड़ा बेकार उसे भारत में लाओ,
मत दो हमको खुद ही कुछ उद्योग लगाओ ।
मंदी में जब पिटा जा रहा हो दीवाला,
बड़े काम आ सकता है बंधू धन काला ।
- ओमप्रकाश तिवारी

जंग

जंग जुबानी है कहीं कहीं चले तलवार,
नेता सभी विपक्ष पर करें वार पर वार ।
करें वार पर वार एक-दूजे से ज्यादा,
भूल गए हैं लोग शब्द की भी मर्यादा ।
कटुता के कारण हुआ लोकतंत्र बदरंग,
भूले दुआ-सलाम भी इसे समझकर जंग ।
- ओमप्रकाश तिवारी

बहना

बहना मन में पालती सपनों का संसार,
भाई जो पीएम बने लूं हीरों का हार ।
लूं हीरों का हार और मांगूं भौजाई,
दस जनपथ पर भी बाजे सुमधुर शहनाई ।
भैया राहुल शर्माकर तुम ना न कहना,
मांगे जब यह नेग प्यार से तेरी बहना ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Thursday, April 16, 2009

आज का राजा

मतदाता जी आज तो राजा हो बस आप,
चाहो तो धुल जाएंगे भारत के सब पाप ।
भारत के सब पाप नाप लो सबकी आंधी,
ले लो सकल हिसाब हुई है जो बरबादी ।
जात-पांत को भूल काम से रक्खे नाता,
लोकतंत्र का सच्चा प्रहरी वो मतदाता ।
- ओमप्रकाश तिवारी

मौन

कौन कह रहा आपका पीएम है कमजोर,
अडवाणी जी की तरह बोल सके न जोर ।
बोल सके न जोर और न शोर मचाए ,
बस दिल्लीवाली मैडम का हुकुम बजाए ।
मनमोहन जी शोर पर भारी पड़ता मौन,
वरना पीएम आपको भला बनाता कौन ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Monday, April 13, 2009

अंग्रेजी

अंग्रेजी के नाम से नेताजी चिढ़ जायं,
लेकिन अपने पुत्र को कान्वेंट पढ़वायं ।
कान्वेंट पढ़वायं बोलता गिटपिट भाषा,
तर जाती है सुन सारे पुरखों की आशा ।
जनता समझ सके न नेताजी की तेजी,
इसीलिए समझाते हौवा है अंग्रेजी ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Sunday, April 12, 2009

बुढ़िया

बुढ़िया-बुढ़िया बोलकर मत दो उसको त्रास,
बना स्वीटजरलैंड का खाती च्यवनप्राश ।
खाती च्यवनप्राश अंग भी है बदलाया,
जर्जर काया हेतु रक्त इटली से आया ।
सत्ता का सिंदूर लगाकर दिखती गुड़िया,
रसविहीन मोदी जिसको कहते हैं बुढ़िया ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Saturday, April 11, 2009

दोहन

मनमोहन को आप ही कहते रहे महान,
आज मुलायमसिंह को याद आया अपमान ।
याद आया अपमान ज्ञान तब उनको आया,
कांग्रेस से जब मनमाना भाव न पाया ।
कृष्णकाल से जिनकी रोजी-रोटी दोहन,
उनका भी दोहन कर बैठे श्री मनमोहन ।
- ओमप्रकाश तिवारी

संपत्ति का हिसाब

मेरे नेता ने दिया जो संपत्ति हिसाब,
उसके तो सौवांश का हमें न आता ख्वाब ।
हमें न आता ख्वाब यही है डेमोक्रेसी,
राजा जिंदाबाद प्रजा की ऐसी-तैसी ।
प्रजाजनों को सदा दरिद्दर रहता घेरे,
भला बताओ क्या कर सकते नेता मेरे ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Thursday, April 9, 2009

बंटी-बबली

बंटी-बबली की तरह राजनीति में लोग,
करते हैं मिल आपको छलने का उद्योग ।
छलने का उद्योग न आती इसमें मंदी,
इसीलिए तो राजनीति कहलाती गंदी ।
अब बिल्ली के गले बांधनी होगी घंटी,
पता तो चले कौन यहां पे बबली-बंटी ।
- ओमप्रकाश तिवारी

काला धन

काला धन पर चल रही चर्चा चारों ओर,
जरा देखिए किस तरह आया कलियुग घोर ।
आया कलियुग घोर बात बेमतलब वाली,
भला लक्ष्मी कैसे हो सकती हैं काली ।
यदि हों अपने पास जपें लक्ष्मी की माला,
दूजे की पाकेट का धन लगता है काला ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Wednesday, April 8, 2009

बुलडोजर

भाषा इनकी देखिए और देखिए ज्ञान,
जिनको देने जा रहे देश की आप कमान ।
देश की आप कमान सोचिए मिस्टर वोटर,
करेंगे क्या निर्माण चलाते जो बुलडोजर ।
मन में है विध्वंस करें क्या इनसे आशा,
बोल रहे हैं जो बुलडोजर वाली भाषा ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Monday, April 6, 2009

कबूतरबाज

संसद में भेजा उन्हें करने को जन-काज,
एमपी साहब बन गए वहां कबूतरबाज ।
वहां कबूतरबाज उड़ाने लगे चिरैया,
प्रश्न पूछने की खातिर भी लिया रुपैया ।
बदमाशी की इससे ज्यादा क्यो होगी हद,
उड़ीं गड्डियां मंडी बन बैठी जब संसद ।
- ओमप्रकाश तिवारी

दाता आए द्वार

दो रुपए में दे रहा कोई आज अनाज,
देने को तैयार है कोई ऋणमुक्त समाज ।
कोई ऋणमुक्त समाज टैक्स से पूरी छुट्टी,
सभी पिलाने चले आज तो मीठी घुट्टी ।
मतदाता श्रीमान कृपा तुम थोड़ी कर दो,
दाता आए द्वार आज तुम झोली भर दो ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Saturday, April 4, 2009

मां का दिल

मां के दिल पर है छिड़ी बहस बड़ी गंभीर,
बहस देखि बहने लगा निज नयनों से नीर ।
निज नयनों से नीर मेनका जी गम साधो,
मत उत्तरप्रदेश से अपना बिस्तर बांधो,
जिससे भिड़ने चलीं वरुण की साधारण मां,
उससे तो डरती हैं हम सबकी भारत मां ।
- ओमप्रकाश तिवारी

Friday, April 3, 2009

दिमाग की लाइट

लाइट, एक्शन, कैमरा, यही आपका काम,
राजनीति में खामखां होते क्यूं बदनाम ।
होते क्यूं बदनाम अरे ओ संजू भाई,
नादानी में कब तक झेलोगे रुसवाई ।
पोजीशन बिजली की माना की है टाइट,
पर दिमाग में तो जल सकती है ना लाइट ।
- ओमप्रकाश तिवारी

राजनीति और अपराध

एक चला था मारने एक ने किया अरेस्ट,
देखो कैसे मिल रहे दोनों के इंट्रेस्ट ।
दोनों के इंट्रेस्ट मिलें ज्यों दामन-चोली,
राजनीति अपराधी की बहना मुंहबोली ।
गली-गली में दिख रहे ये गठजोड़ अनेक,
इनसे कैसे लड़ेगी भारत माता एक ।
- ओमप्रकाश तिवारी

ठोकतंत्र

भाई साहब जेल में भौजी लड़ें चुनाव,
जनता देखे बैठ के राजनीति के दावं ।
राजनीति के दावं करेगा क्या न्यायालय,
अपराधी का खानदान जब है सचिवालय।
लोकतंत्र में ठोकतंत्र की चले दुहाई,
बैठ जेल में भी बंपर जीतेंगे भाई ।
- ओमप्रकाश तिवारी