Friday, April 24, 2009

समोसे में आलू

जनता ने जब से चखा है विकास का स्वाद,
नेता रूपी मसखरे लगते अब बेस्वाद ।
लगते अब बेस्वाद हो गई जनता चालू,
लगे उसे स्वादिष्ट समोसा भी बिन आलू ।
जिनके कारण नाच रही अब तक निर्धनता,
सबक सिखाएगी उनको अब जागृत जनता ।
- ओमप्रकाश तिवारी

2 comments:

  1. देख प्रतिशत वोटरवन का, क्यूँ मन मोरा घबराए
    कहीं निठ्ठलों के चक्कर में, फिर न वो आ जाये
    फिर न वो आ जाये कि सियासत है खेल अजब सा
    कुर्सी हासिल करने को, इनका है मेल गजब का
    कहत समीर कविराय कि इनकी जात को जानो
    नाकारों की भीड़ लगी है, बेहतर नाकारा पहचानों.

    -समीर लाल ’समीर’

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