Wednesday, April 22, 2009

और अब चूसे बेटा

साठ साल बीते मगर अब भी हैं मजबूर,
बिजली,पानी,सड़क से जनता कोसों दूर ।
जनता कोसों दूर फले-फूले हैं नेता,
रहा चूसता बाप और अब चूसे बेटा ।
रमिया-राम-रहीम सब बने रहे यदि काठ,
यहीं खड़े रह जाएंगे बरस और भी साठ ।
- ओमप्रकाश तिवारी

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