हफ्ता थे जो मांगते मांग रहे हैं वोट,
छीना करते नोट थे बांट रहे अब नोट ।
बांट रहे अब नोट चाहते बनें विजेता,
कुछ भी ले लो लेकिन इन्हें बना दो नेता ।
राह पुरानी पकड़ेंगे फिर रफ्ता - रफ्ता,
चुनकर आने पर भी ये मांगेंगे हफ्ता ।
- ओमप्रकाश तिवारी
Monday, April 27, 2009
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