मेरे नेता ने दिया जो संपत्ति हिसाब,
उसके तो सौवांश का हमें न आता ख्वाब ।
हमें न आता ख्वाब यही है डेमोक्रेसी,
राजा जिंदाबाद प्रजा की ऐसी-तैसी ।
प्रजाजनों को सदा दरिद्दर रहता घेरे,
भला बताओ क्या कर सकते नेता मेरे ।
- ओमप्रकाश तिवारी
Saturday, April 11, 2009
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