Wednesday, March 18, 2009

गठबंधन

गठबंधन का दौर है सभी रहे हैं दौड़,
सत्ता मूल विचार है बाकी सबकुछ गौण ।
बाकी सबकुछ गौण देश की फिक्र न पालो,
किसी तरह से संसद की कुर्सी हथिया लो ।
कुर्सी के हित करिये बैरी का भी वंदन ,
लिव इन रिलेशनशिप हैं ये सारे गठबंधन ।
- ओमप्रकाश तिवारी

9 comments:

  1. आरम्भ है प्रचंड...

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  2. aapki ye kavita maine jagran me bhi padhi thi aur khabar bhi. dono hi badhiya hai.
    jab tak satta ko chhod aam aadmi ke bare me nahi sochenge desh ka bhala nahi hoga.
    hum bhi serious subjects per blog lekhan kar rahe hai..aapse gujarish hai ki padhkar hum nosikhiyon ka hosla badayen.
    www.sarparast.blogspot.com

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  3. जनपथ के लिए तिवारी जी को शुभकामनाएं.
    (हम सब साथ हैं)

    लोकतंत्र की दरिया में बहती धन की मलाई
    उपरवाले जमकर खाते हमको कुछ नही भाई
    हमको कुछ नही भाई देखकर मन रोया
    विधाता तुमने लोकतंत्र में कैसा बिज़ बोया
    कह 'सुलभ' कविराय छोड़ो कविता वाचन
    थाम लो राजनीत का जैसे भी हो दामन ॥

    यादों का इंद्रजाल.

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  4. जय हो........
    कुण्डलनी बाबा की...सुन्दर लिखा

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  5. बहुत बढिया प्रस्तुती......आभार एवं शुभकामनाऎं

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  6. चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है .नियमित लिखते रहें इससे संवाद-संपर्क बना रहता है , ढेर सारी शुभकामनाएं !

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