बंटी-बबली की तरह राजनीति में लोग,
करते हैं मिल आपको छलने का उद्योग ।
छलने का उद्योग न आती इसमें मंदी,
इसीलिए तो राजनीति कहलाती गंदी ।
अब बिल्ली के गले बांधनी होगी घंटी,
पता तो चले कौन यहां पे बबली-बंटी ।
- ओमप्रकाश तिवारी
Thursday, April 9, 2009
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बंटी-बबली की तरह नहीं, बंटी-बबली ही हैं राजनीति में । इसलिये पता लगाने की जरुरत नहीं ।
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