दो रुपए में दे रहा कोई आज अनाज,
देने को तैयार है कोई ऋणमुक्त समाज ।
कोई ऋणमुक्त समाज टैक्स से पूरी छुट्टी,
सभी पिलाने चले आज तो मीठी घुट्टी ।
मतदाता श्रीमान कृपा तुम थोड़ी कर दो,
दाता आए द्वार आज तुम झोली भर दो ।
- ओमप्रकाश तिवारी
Monday, April 6, 2009
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क्या खूब लिखा है।
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