अंग्रेजी के नाम से नेताजी चिढ़ जायं,
लेकिन अपने पुत्र को कान्वेंट पढ़वायं ।
कान्वेंट पढ़वायं बोलता गिटपिट भाषा,
तर जाती है सुन सारे पुरखों की आशा ।
जनता समझ सके न नेताजी की तेजी,
इसीलिए समझाते हौवा है अंग्रेजी ।
- ओमप्रकाश तिवारी
Monday, April 13, 2009
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बिलकुल ठीक. अरे नेता और जनता में यही न फ़र्क़ होता है जी.
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