संसद में भेजा उन्हें करने को जन-काज,
एमपी साहब बन गए वहां कबूतरबाज ।
वहां कबूतरबाज उड़ाने लगे चिरैया,
प्रश्न पूछने की खातिर भी लिया रुपैया ।
बदमाशी की इससे ज्यादा क्यो होगी हद,
उड़ीं गड्डियां मंडी बन बैठी जब संसद ।
- ओमप्रकाश तिवारी
Monday, April 6, 2009
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Bahut Acha likha...
ReplyDeleteबहुत बढिया लिखा है।
ReplyDeleteअच्छी लेखनी हे..../ पड़कर बहुत खुशी हुई.../
ReplyDeleteआप कौनसी हिन्दी टाइपिंग टूल यूज़ करते हे..? मे रीसेंट्ली यूज़र फ्रेंड्ली इंडियन लॅंग्वेज टाइपिंग टूल केलिए सर्च कर रहा था तो मूज़े मिला.... " क्विलपॅड " / ये बहुत आसान हे और यूज़र फ्रेंड्ली भी हे / इसमे तो 9 भारतीया भाषा हे और रिच टेक्स्ट एडिटर भी हे / आप भी " क्विलपॅड " www.quillpad.in यूज़ करते हे क्या...?
संतोष जी , भावना जी एवं संगीता जी धन्यवाद । इसी तरह उत्साह बढ़ाते रहें ।
ReplyDeleteभाई संतोष मुझे तो मेरे एक मित्र शैलेष भारतवासी के सौजन्य से ये हिंदी टूलकिट मिली है - http://bharatwasi001.googlepages.com/hinditoolkit.zip
इसी का इस्तेमाल करता हूं ।