इज्जत फालूदा हुई पहुँची मन को चोट,
जिस कारण दिल्ली गईं मिला न एकहु नोट ।
मिला न एकहु नोट गोट सब उलटी बैठी,
अब जाकर बंगाल रहो तुम ऐंठी-ऐंठी ।
सत्ता जिसके हाथ करो न उससे हुज्जत,
सिंह मुलायम भांति संभालो अपनी इज्जत ।
जिस कारण दिल्ली गईं मिला न एकहु नोट ।
मिला न एकहु नोट गोट सब उलटी बैठी,
अब जाकर बंगाल रहो तुम ऐंठी-ऐंठी ।
सत्ता जिसके हाथ करो न उससे हुज्जत,
सिंह मुलायम भांति संभालो अपनी इज्जत ।
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