गठबंधन का दौर है सभी रहे हैं दौड़,
सत्ता मूल विचार है बाकी सबकुछ गौण ।
बाकी सबकुछ गौण देश की फिक्र न पालो,
किसी तरह से संसद की कुर्सी हथिया लो ।
कुर्सी के हित करिये बैरी का भी वंदन ,
लिव इन रिलेशनशिप हैं ये सारे गठबंधन ।
- ओमप्रकाश तिवारी
Wednesday, March 18, 2009
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bahut khoob. yahi sach hai.
ReplyDeleteआरम्भ है प्रचंड...
ReplyDeleteaapki ye kavita maine jagran me bhi padhi thi aur khabar bhi. dono hi badhiya hai.
ReplyDeletejab tak satta ko chhod aam aadmi ke bare me nahi sochenge desh ka bhala nahi hoga.
hum bhi serious subjects per blog lekhan kar rahe hai..aapse gujarish hai ki padhkar hum nosikhiyon ka hosla badayen.
www.sarparast.blogspot.com
जनपथ के लिए तिवारी जी को शुभकामनाएं.
ReplyDelete(हम सब साथ हैं)
लोकतंत्र की दरिया में बहती धन की मलाई
उपरवाले जमकर खाते हमको कुछ नही भाई
हमको कुछ नही भाई देखकर मन रोया
विधाता तुमने लोकतंत्र में कैसा बिज़ बोया
कह 'सुलभ' कविराय छोड़ो कविता वाचन
थाम लो राजनीत का जैसे भी हो दामन ॥
यादों का इंद्रजाल.
Blog jagat me aapka swagat hai.
ReplyDeleteजय हो........
ReplyDeleteकुण्डलनी बाबा की...सुन्दर लिखा
बहुत बढिया प्रस्तुती......आभार एवं शुभकामनाऎं
ReplyDeletevery good, narayan narayan
ReplyDeleteचिट्ठाजगत में आपका स्वागत है .नियमित लिखते रहें इससे संवाद-संपर्क बना रहता है , ढेर सारी शुभकामनाएं !
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