उत्तर-दक्षिण मिल रहे पूरब-पश्चिम साथ,
अंधे लगे टटोलने अब लंगड़ों का हाथ ।
अब लंगड़ों का हाथ न माया जाय बखानी,
सच पूछो तो थर्ड फ्रंट की यही कहानी ।
कितने दिन तक साथ रहेंगे ये सब पुत्तर,
है अखंड यह प्रश्न बताए कोई उत्तर ।
- ओमप्रकाश तिवारी
Wednesday, March 18, 2009
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